सात माह पहले भी जहरीली शराब ने हरिद्वार में बरपाया था कहर, गई थी 44 लोगों की जान

 



करीब सात महीने पहले भगवानपुर तहसील क्षेत्र के आधा दर्जन गांवों में जहरीली शराब कांड में करीब 44 लोगों की मौत का मुख्य कारण पुलिस और आबकारी विभाग के बीच समुचित तालमेल का अभाव व नियमित चेकिंग नहीं होना पाया गया है।
 

घटना की मजिस्ट्रीयल जांच में यह बात सामने आई है। जिला स्तरीय अधिकारियों ने मजिस्ट्रीयल अधिकारी की जांच रिपोर्ट को अवलोकन करने के बाद शासन को भेज दिया है। अब शासन की ओर से लिए जाने वाले संज्ञान का इंतजार किया जा रहा है।


तत्कालीन डीएम दीपक रावत ने मजिस्ट्रीयल जांच के आदेश दिए थे



बीती आठ फरवरी को झबरेड़ा थाना क्षेत्र के बाल्लुपुर समेत कई गांवों और सहारनपुर में जहरीली शराब पीने से 100 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। इसमें 44 अकेले हरिद्वार जिले के थे। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को हिला देने वाले जहरीली शराब कांड में तत्कालीन डीएम दीपक रावत ने मजिस्ट्रीयल जांच के आदेश दिए थे।

इसकी जिम्मेदारी तत्कालीन अपर जिलाधिकारी डॉ. ललित नारायण मिश्रा को सौंपी गई थी। उन्होंने कई दिनों तक प्रभावित गांवों का दौरा कर साक्ष्य जुटाए। सैकड़ों लोगों के बयान भी दर्ज किए थे। बाद में उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट डीएम कार्यालय में जमा करा दी थी। इसके तुरंत बाद उनका स्थानांतरण हो गया और जिलाधिकारी भी बदल गए।




कच्ची शराब को रोकने के लिए नियमित रूप से बॉर्डर पर चेकिंग नहीं



नए डीएम दीपेंद्र चौधरी ने जांच रिपोर्ट का अवलोकन कर शासन को भेज दिया। सूत्रों की मानें तो जांच में जहरीली कांड का प्रमुख कारण उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों से आने वाली कच्ची शराब को रोकने के लिए नियमित रूप से बॉर्डर पर चेकिंग नहीं किया जाना था।

सूत्र बताते हैं कि रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अगर समन्वय बनाकर चेकिंग की जाती तो इस कांड से बचा जा सकता था। डीएम कार्यालय से यह रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। डीएम दीपेंद्र चौधरी ने रिपोर्ट मिलने और शासन को भेजने की पुष्टि की है।




विधानसभा की ओर से गठित एक समिति ने भी प्रकरण की जांच की थी



अब शासन की ओर से संज्ञान लिए जाने का इंतजार किया जा रहा है। बता दें कि विधानसभा की ओर से गठित एक समिति ने भी प्रकरण की जांच की थी। उधर, इस कांड के बाद कच्ची शराब के धंधे का भंडाफोड़ और चेकिंग के लिए शासन के निर्देश पर जिले में एक समन्वय समिति का गठन किया गया है।

डीएम की अध्यक्षता में गठित इस समिति में एसएसपी, संबंधित तहसीलों के एसडीएम, सीओ और थाना प्रभारी समेत आबकारी विभाग के जिला व तहसील स्तर के अधिकारी भी शामिल किए गए हैं।